रूस ने टैक्टिकल परमाणु हथियारों के साथ शुरू की ड्रिल

मॉस्को
 रूस के रक्षा मंत्रालय ने बताया है कि उसकी सेना यूक्रेन के पास टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन (सामरिक परमाणु हथियार) के साथ सैन्य अभ्यास शुरू किया है। रूस का सैन्य अभ्यास उसके दक्षिणी सैन्य जिले में हो रहा है, जिसकी सीमा यूक्रेन के उन हिस्सों से लगती है, जिन पर मॉस्को ने 2022 में आक्रमण शुरू होने के बाद से अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है। रूस का कहना है कि टैक्टिकल परमाणु हथियारों के साथ उसकी ये ड्रिल पश्चिमी देशों की उन धमकियों का जवाब है, जो यूक्रेन में हस्तक्षेप करने का इरादा रखते हैं। रूस के इस सैन्य अभ्यास ने एक बार फिर से परमाणु हमले को लेकर चिंताओं को सामने ला दिया है। इसके साथ ही एक सवाल उठता है कि टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन क्या हैं और ये कितने खतरनाक होते हैं? इस बारे में रूस की नीति क्या है।
क्यों डरा है अमेरिका?

रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने पिछले साल मार्च में कहा था कि मॉस्को ने पड़ोसी बेलारूस में टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन तैनात करने के लिए एक डील की है और यह अप्रसार संधि का उल्लंघन नहीं करता है। इसके बाद से रूसी राष्ट्रपति बार-बार परमाणु हथियारों की धमकी देते रहे हैं। आखिरकार अमेरिका को ये कहना पड़ा कि यूक्रेन संघर्ष के दौरान पुतिन की टिप्पणियों के कारण विश्व को 1962 के क्यूबा मिसाइल संकट के बाद सबसे गंभीर परमाणु खतरे का सामना खड़ा हो गया है। हालांकि, मॉस्को का कहना है कि उसके रुख की गलत व्याख्या की गई है। यूक्रेन और उसके पश्चिमी सहयोगियों को डर है कि सामरिक परमाणु हथियारों का इस्तेमाल युद्ध में किया जा सकता है।

रूस कैसे कर सकता है इस्तेमाल?

रूस के पास कई डिलीवरी प्रणालियां दोहरे इस्तेमाल वाली हैं। इसका मतलब है कि उनका इस्तेमाल परमाणु और पारंपरिक, दोनों तरह के हथियार ले जाने के लिए किया जा सकता है। इस सुविधा से लैस होने के कारण रूस की परमाणु तैयारियों का पता लगाना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि इस प्रकार के डिलीवरी हथियार पहले से ही यूक्रेन, बेलारूस और रूसी कैलिनिनग्राद जैसी जगहों पर तैनात हैं। ऐसे में पश्चिमी देशों का ध्यान परमाणु हथियारों के ठिकानों की निगरानी पर होता है। नाटो रूस के इन डिपो के आसपास किसी भी गतिविधि पर करीबी नजर रखता है।

क्या होते हैं टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन?

ब्रिटैनिका के अनुसार, सामरिक परमाणु हथियार वे छोटे परमाणु हथियार और डिलीवरी सिस्टम हैं, जिनका इस्तेमाल युद्ध के मैदान में या सीमित हमले के लिए किया जाता है। पारंपरिक रणनीतिक परमाणु हथियारों की तुलना में ये कम शक्तिशाली होते है। इनका उद्येश्य व्यापक विनाश और रेडियोधर्मी गिरावट के बिना दुश्मन के लक्ष्यों को तबाह करना है। इन्हें बड़े शहरों को तबाह करने के लिए नहीं बनाया गया होता है।

अमेरिका ने 1950 के दशक में हल्के परमाणु हथियार विकसित करना शुरू किया था। इस तरह का पहला हथियार W-54 था, जिसका विस्फोटक बल 0.1 से 1 किलोटन तक था। द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान पर गिराए गए बमों का विस्फोटक बल 15 और 21 किलोटन था। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के पास 200 ऐसे हथियार है, जिनमें से आधे यूरोप के ठिकानों पर हैं। 0.3 से 170 किलोटन की अलग-अलग क्षमता वाले ये सामरिक परमाणु हथियार इटली, जर्मनी, तुर्की, बेल्जियम और नीदरलैंड के छह हवाई अड्डों पर तैनात हैं।

रूस के पास अमेरिका से ज्यादा हथियार

रूस शीतयुद्ध के दौर से परमाणु हथियारों को लेकर गोपनीयता रखता आया है। ऐसे में बहुत कम लोगों को पता है कि रूस के पास कितने सामरिक परमाणु हथियार हैं। फिर भी ये माना जाता है कि रूस सामरिक हथियारों के मामले में अमेरिका और नाटो सैन्य गठबंधन से बहुत आगे है। अमेरिका का मानना है कि रूस के पास लगभग 2000 सामरिक परमाणु हथियार हैं, जो वाशिंगटन से 10 गुना ज्यादा है।

India Edge News Desk

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